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सिविल हॉस्पिटल जौरा में स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का हुआ आयोजन

एमपीएस, एएनएम एवं एमपीडब्ल्यू को दी एचआईवी, टीवी, कुष्ठ की जानकारी


मुरैना /मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरएस सेमिल के मार्गदर्शन में सिविल हॉस्पिटल जौरा द्वारा विगत दिवस स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आईसीटीसी के परामर्शदाता श्री संदीप सेंगर, श्री मनीकांत शर्मा, कुष्ठ के एनएमए कमलेश कुमार श्रीवास्तव एवं क्षय ईकाई से एसटीएलएस श्री रणवीर गोयल ने उपस्थित एमपीएस, एएनएम एवं एमपीडब्ल्यू, जन समुदाय को एचआईवी, टीवी एवं कुष्ठ के संक्रमण से बचने के लिए जागरूक किया।
कार्यक्रम में परामर्शदाता श्री संदीप सेंगर ने एचआईवी एड्स के बारे में बताते हुए कहा कि एचआईवी एक वायरस है, जबकि एड्स इस वायरस के करण होने वाली बीमारियों के समूह का नाम है। एक स्वस्थ व्यक्ति में एचआईवी संक्रमण एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध रखने से, एचआईवी संक्रमित सिरिंजों व सुईयों के पुनः उपयोग से, एचआईवी संक्रमित रक्त या रक्त उत्पाद स्वस्थ व्यक्ति पर चढ़ाने से, एक एचआईवी संक्रमित गर्भवती मां से उसके होने वाले शिशु को एचआईवी संक्रमण हो सकता है। इसका पता केवल जांच के आधार पर ही लग सकता है, इसलिए सभी लोग जन समुदाय को एचआईवी की जांच कराने के लिये आईसीटीसी की ओर भेजें। वहीं परामर्शदाता श्री मनीकांत शर्मा ने एसटीआई एवं एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों को एआरटी के माध्यम से दी जाने वाली दवाइयां के बारे में विस्तार से समझाते हुए सामाजिक स्तर पर एचआईवी पॉजिटिव व्यक्तियों के साथ भेद भाव न किए जाने के लिये लोगों को प्रेरित करने की बात कही। कार्यक्रम में कमलेश कुमार श्रीवास्तव ने कुष्ठ रोग के प्रति जागरुक करते हुए कहा कि आमतौर पर लोग सफेद दाग को कुष्ठ मानते हैं, जब कि ऐसा नहीं है, सफेद दाग कुष्ठ नहीं है, उसे हम ल्युकोडर्मा कहते हैं। कुष्ठ एक साधारण बीमारी है, जो माइक्रो बैक्टेरियमलेप्री नामक बैक्टीरिया से फैलता है। इसका बैक्टीरिया भी टीवी की तरह श्वास, छींक व हवा के माध्यम से एक से दूसरे शरीर में पहुंचता है। किसी भी व्यक्ति के शरीर पर चमड़ी से फीके कलर के दाग जिनमें सुन्नपन, सूखापन हो खुजली नहीं हो तो हम ऐसी स्थिति को कुष्ठ कह सकते हैं। ऐसे लोगों की पहचान कर कुष्ठ की जांच कराने के लिये उन्हें प्रेरित करें। वरिष्ठ पर्यवेक्षक श्री रणवीर गोयल ने टीवी रोग के प्रकार बताते हुए फेफड़े एवं शरीर के अन्य हिस्सों में होने वाली टीवी के अंतर को समझाया। उन्हांने कहा कि किसी भी व्यक्ति को सात दिवस से अधिक की खांसी के साथ-साथ हल्का बुखार, भूख में कमी, रात के समय पसीना आना एवं लगातार उसका वजन कम हो रहा हो तो ऐसे व्यक्ति टीवी रोग के संभावित व्यक्ति हो सकते हैं। उनके द्वारा टीवी रोग से ग्रसित व्यक्तियों के उपचार एवं संक्रमण होने से बचाव के तरीकों पर भी चर्चा की गई।

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