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स्वामी विवेकानंद युवाओं के मार्गदर्शक एवं प्रेरणा स्रोत

युवाओं में सेवा की भावना का होना जरूरी

 

मुरैना /“उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक कि लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।“ स्वामी विवेकानंद द्वारा कहा गया ये वाक्य युवा जागरण का प्रतीक है।स्वामी विवेकानंद ने युवाओं का आह्वान किया तथा उनमें राष्ट्र के प्रति समर्पण और स्वाभिमान भाव भरने का संकल्प लिया।विवेकानन्द युवायों के भीतर ज्ञानभाव को केंद्र बनाना चाहते थे।उनके अनुसार ज्ञान सिर्फ एक क्लासरूम में बैठकर पढ़ने से प्राप्त नहीं होता।शारीरिक परिश्रम एवं खेलकूद से भी एक युवा अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकता है।स्वामी जी युवायों में सेवा की भावना का भी विस्तार करना चाहते है।

सेवा की अवधारणा क्या है? स्वामी विवेकानंद कहते हैं: “यह सभी पूजा का सार है – शुद्ध रहना और दूसरों का भला करना। जो गरीब, कमजोर और बीमार में शिव को देखता है, वह वास्तव में शिव की पूजा करता है; और अगर वह शिव को केवल छवि में देखता है, तो उसकी पूजा प्रारंभिक है।”

यह विचार कि गरीबों की सेवा करना भगवान की पूजा करने के समान है। यह विचार भारतीय आध्यात्मिक चिंतन में गहराई से समाया हुआ है। स्वामी विवेकानंद को उद्धृत करते हुए: “यदि आप ईश्वर को पाना चाहते हैं, तो मनुष्य की सेवा करें। नारायण तक पहुँचने के लिए आपको दरिद्र नारायणों की सेवा करनी होगी – भारत के भूखे,गरीब लाखों लोगों की सेवा करना स्वयं को साकार करने का एक तरीका है। कैसे? अपने अहंकार को मारकर व्यक्ति आत्म-विकास प्राप्त करता है।श्री अरबिंदो कहते हैं: “सेवा का आनंद और काम के माध्यम से आंतरिक विकास का आनंद निस्वार्थ कार्यकर्ता का पर्याप्त प्रतिफल है।”सेवा दिखावा नहीं हो सकती। यह तब तक नहीं की जा सकती जब तक कि व्यक्ति को इससे गहरी संतुष्टि न मिले।

युवाओं को संदेश –

युवाओं को शुरू से ही रोशनी दिखाने की जरूरत है। स्वामीजी के कुछ वचन जो युवायों में आत्मविश्वास पैदा करते हैं और प्रेरणा देते हैं:

• ‘कड़ी मेहनत करो। पवित्र और शुद्ध रहो, और आग आ जाएगी।’

• ‘चिंतित मत हो, जल्दी मत करो। धीरे-धीरे, लगातार और चुपचाप काम करने से सब कुछ हो जाता है।’

• ‘कड़ी मेहनत करो; चाहे तुम जियो या मरो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। तुम्हें बिना परिणाम के बारे में सोचे, पूरी लगन से काम करना है।’

• “उन्नति का एकमात्र तरीका यह है कि हम अपने अगले कर्तव्य को पूरा करें और इस प्रकार शक्ति प्राप्त करते हुए तब तक आगे बढ़ते रहें जब तक हम सर्वोच्च स्थिति तक न पहुंच जाएं”

• “काम के लिए काम करो। पूजा के लिए पूजा करो। अच्छा करो क्योंकि अच्छा करना अच्छा है। इससे अधिक कुछ मत मांगो।”

बिना किसी प्रतिफल की आशा के की गई निःस्वार्थ सेवा स्वयं के लिए तथा राष्ट्र के लिए चमत्कार कर सकती है।हम सभी स्वामी विवेकानन्द की जयंती के अवसर पर जो युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।उनके द्वारा दी गई सीख को जीवन में उतारने की कोशिश करते है।

 

 

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